Friday 2 March 2018

बदलता नज़रिया III

गरिमा ने फोन ले कर तुरन्त डाक्टर से अपाइंटमेंट ले लिया और उसी शाम औफिस से लौट कर मोनू को बैबुटौक्स का पहला इन्जेक्शन लगवाने ले गई। बैबुटौक्स लगवाने के लिए भरे जाने वाले फॉर्म मे उसने अपना नाम कुलदीप गुप्ता और पत्नी का नाम गरिमा चौधरी भरा तो फॉर्म रिजैक्ट हो गया। बाहर बैठे हुए मेल रिसैप्शनिस्ट ने बताया कि पहले यह कानून बना था कि शादी के बाद महिलाएं अपना सरनेम नहीं बदलेंगी लेकिन अब नये कानून के मुताबिक पुरुषों के लिए शादी के बाद अपनी पत्नी का सरनेम लगाना अनिवार्य हो गया है और यदि पत्नी चाहे तो पति का नाम भी बदल सकती है। इसके लिए आधार कार्ड में परिवर्तन कराने के लिए दूसरा फॉर्म भरा गया जिस पर गरिमा ने मोनू के नये नाम, मोनू चौधरी, पर अपनी सहमति के हस्ताक्षर किए। नये आधार कार्ड के साथ वे लोग दोबारा अस्पताल आए अपने नये नाम के साथ मोनू को बैबुटौक्स का इन्जेक्शन लगा दिया गया। 

इन्जैक्शन काफी दर्द वाला था और अगले दिन, दो इन्जैक्शन और भी लगने थे। इन्जैक्शन लगाने वाले मेल नर्स ने मोनू को बताया कि यदि सिकाई कर लो तो दर्द में तो आराम मिलेगा लेकिन आगे जा कर ब्रैस्ट्स का साइज़ छोटा रह जाएगा। मोनू ने सिकाई को मना कर दिया क्योंकि जब उसे गरिमा की खुशी के लिए ब्रैस्ट्स बढाने ही थे तो दो या तीन दिन दर्द बर्दाश्त कर के फुल साइज़ ब्रैस्ट्स का होना ही उसे बेहतर लगा।

लेडी डाक्टर को फीस दे कर, गरिमा बाहर निकली तब मोनू का दर्द से बुरा हाल था। उसने गरिमा से घर चलने की रिक्वेस्ट की ताकि वह आराम कर सके लेकिन गरिमा, मोनू को शौपिंग कराने मॉल ले गई।"तुम अपने लिए कुछ साड़ियां और ड्रैस खरीद लो। अगले तीन दिन में यह कपड़े नहीं पहन पाओगे।" गरिमा ने कहा। "घर पर आपकी इतनी साड़ियाँ पड़ी हैं। वही पहन लूँगा। बेकार पैसे खराब मत करिए।" मोनू ने कहा। "लेकिन मेरी पुरानी ब्रा और पैंटी तुम्हें नहीं आने वाले हैं" गरिमा के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी। मोनू ने शरमा कर सिर झुका लिया। गरिमा उसे मॉल के उस सैक्शन मे ले गई जहाँ बड़े बड़े शब्दों मे 'मेल अन्डर गार्मेंट्स' लिखा था और मोनू को कई सारी ब्रा, पैन्टी, रैडीमेड ब्लाउज और पेटीकोट दिलवा दिये। 

बैबुटौक्स लगने के अगले दिन सुबह से मोनू को कमजोरी का अहसास तो था लेकिन उसे अपने अन्दर और भी कई फर्क महसूस दे रहे थे। उसके सीने में अजीब सी सनसनाहट थी लेकिन यह तो वह जानता ही था कि अब उसकी बाकी माँसपेशियाँ थोड़ी कमजोर हो जाएँगी और स्तन बढ़ जाएँगे पर सबसे अजीब बात तो उसे ये लग रही थी कि उसका नज़रिया बदल रहा था। गरिमा की चाय बना कर जब वह उसे उठाने गया तो रोज़ की तरह, उसका नाम लेने की जगह उसके मुँह से यही निकला, "सुनिए जी, चाय ठंडी हो रही है। उठ जाइये।" गरिमा कुनमुना कर फिर सो गई। मोनू ने चादर मे से गरिमा के पैर निकाले और धीरे धीरे उसके पैरों को सहलाने लगा। गरिमा की नींद खुल गई और उसने मोनू को अपनी बाँहों मे खींच लिया। "अरे अरे, छोड़िये मुझे, चाय ठंडी हो रही है। प्लीईईईईईईईईज़। जो करना हो, रात मे कर लेना। अभी छोड़िये।" मोनू, गरिमा की बलिष्ठ बाँहों मे कसमसा रहा था। रात रात में ही, उसके ब्रैस्ट्स थोड़े से बढ़े थे और गरिमा को शायद इसलिए और भी मज़ा आ रहा था। लेकिन गरिमा को भी पता था कि औफिस टाइम पर पहुँचना, आज बहुत ज़रूरी था क्योंकि उसकी नई बॉस आज से ऑफीस जॉइन कर रही थी। थोड़ी देर में ही, उसने मोनू को छोड़ दिया और जल्दी से चाय खत्म कर बाथरूम में घुस गई।

गरिमा के औफिस निकलते ही, मोनू जल्दी जल्दी सारे काम खत्म कर के, नीरज के पास पहुँच गया और उनको खुशखबरी दी कि उसने बैबुटौक्स का पहला इन्जैक्शन लगवा लिया है। आज गरिमा का साथ जाना सम्भव नहीं था इसलिए वह कल ही लेडी.डाक्टर को तीनों इन्जैक्शन की फीस दे आई थी। नीरज ने भी जल्दी जल्दी अपना बचा हुआ काम खत्म किया जिसमें आज मोनू ने भी उनकी मदद की। नीरज ने अपनी पत्नी को फोन कर मोनू के साथ, डाक्टर के यहाँ जाने की परमिशन ली और दोनों ई रिक्शा से डाक्टर के यहाँ पहुँच गए।

आज के दोनों बैबुटौक्स, मोनू के ब्रैस्ट्स मे लगे और इसमें कल जितना दर्द नहीं हुआ। दो घंटे के अन्दर ही मोनू के ब्रैस्ट्स फुल साइज़ डैवलप हो चुके थे। तब तक मोनू और नीरज घर पहुँच चुके थे। मोनू ने नीरज की मदद से जब ब्रा पहनने की कोशिश की तब उसे पहली बार पता चला कि पीछे की ओर ब्रा का हुक लगाना कितना मुश्किल होता है। साड़ी बाँधने मे भी मुश्किल हुई लेकिन मोनू जानता था कि कुछ समय में आदत पड़ जाएगी। गरिमा का घर लौटने का टाइम हो रहा था इसलिये म़ोनू भी जल्दी से अपने घर पहुँच कर गरिमा की इन्तज़ार करने लगा।

1 comment:

  1. liked that taking women's name scene..good shopping time you both had..story going great.

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