Wednesday, 19 October 2016

आज करवाचौथ का निर्जल व्रत है। सुबह से न तो कुछ खाया है और न ही पानी की एक बूँद गले में डाली है।
आज का दिन ही कुछ खास है क्योंकि साधारणतया सुबह दस बजे तक भूख लगने लगती है लेकिन आज नहीं।
G ने office से फोन कर के कहा कि कुछ खा पी लो, ऐसा व्रत मत करो। 
मेरे मना करने पर कहने लगीं कि तुम्हें भूखे प्यासे रहने में क्या मज़ा आ रहा है?
मैंने मन ही मन कहा कि ये समझ ही नहीं सकतीं कि आज के दिन भूखा प्यासा रहने में जो आनंद है वो छप्पन भोगों में भी नहीं।

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