अगले कुछ हफ्तों में, मोनू, अपने नए रूप में पूरी तरह ढल चुका था। वह खूब अच्छे से खुद अपनी साड़ी बाँध लेता था और मेकअप मे भी परफैक्ट हो गया था। गरिमा भी उससे खुश थी और हर रविवार, उसको शौपिंग कराने या पिक्चर दिखाने लेकर जाती थी।
आज के दिन, मोनू , किचन में लगा हुआ था और उसका दिल बहुत ज्यादा धड़क रहा था। आज गरिमा के पिताजी और उनकी छोटी बेटी प्रिया, उसके घर पर आ रहे थे। गरिमा की माता जी की मृत्यु तो बहुत पहले ही हो चुकी थी। गरिमा की एक सहकर्मी के भाई के साथ, प्रिया की शादी की बात चल रही थी और इसी सिलसिले में, वह लोग, प्रिया के लिए लड़का पसंद करने आ रहे थे।
हाउस हसबैंड बनने से पहले, मोनू का प्रिया के साथ, जीजा साली वाला मज़ाक खूब चलता था लेकिन अब रिश्ता बदल चुका था। नीरज जी ने भी मोनू को यही सलाह दी थी कि अब उसको, प्रिया को सम्मान दे कर, दीदी कह कर बात करनी है। गरिमा ने उन लोगों को, मोनू के बैबुटौक्स लगवाने के बारे में नहीं बताया था ताकि वह उन्हें सर्प्राइज़ दे सके।
मोनू ने आज हरे रंग की साड़ी पहनी थी। हरी बिन्दी और हरी चूड़ियां उस पर फब रही थीं। इसके साथ, उसने गहरे लाल रंग की नेलपॉलिश और लिपस्टिक लगाई थी। गरिमा ने उसे अपनी पुरानी पायजेब भी दे दी थी जिसे पहन कर जब वो चलता था तो छम छम की आवाज़ आती थी।
गरिमा को आज औफिस से लौटने मे देर हो गई और उसके पापा एवं प्रिया, पहले ही घर पहुंच गए। जब मोनू ने उनके लिए दरवाजा खोला तो उसको इस रूप में देख कर, पिता जी आश्चर्यचकित रह गए। प्रिया को शायद गरिमा ने कुछ कुछ बता दिया था लेकिन फिर भी वह मोनू को देखती ही रह गई। मोनू ने पिता जी के पैर छुए और प्रिया को हाथ जोड़कर नमस्ते की। वह आदरपूर्वक उन दोनों को अन्दर लेकर आया और उन्हें सोफे पर बिठा कर उनके लिए एक ट्रे मे पानी लेकर आया।दोनों हक्के बक्के से उसे देख रहे थे।
इतने में ही गरिमा ने दरवाजे की घंटी बजा दी। मोनू ने जल्दी से दरवाजा खोला और रोज़ की तरह, गरिमा के पैरों में अपना सिर रख दिया। साथ ही, उसने आँखों से ही गरिमा को पिता जी के अन्दर होने का इशारा भी कर दिया ताकि गरिमा उसके साथ कोई शरारत ना करे। गरिमा ने अन्दर आते ही अपना कोट और टाई उतारकर मोनू को पकड़ा दिये और अपने पापा और प्रिया के साथ बैठ गई। अचानक उसने ज़ोर से मोनू को आवाज़ दी। मोनू चाय बनाना छोड़ कर, जल्दी से आया। "तुमने अब तक पापा और प्रिया को चाय नहीं पिलाई है।" गरिमा ज़ोर से दहाड़ी। पापा ने फौरन उसका बचाव किया," बेटा, हम अभी अभी तो आए हैं। अभी पानी पिलाया उसने। चाय बनाने जा रहा था कि तुम आ गईं।" "ठीक है। जल्दी चाय और नाश्ता लाओ।" गरिमा की आवाज में सख्ती थी।
मोनू ने जल्दी जल्दी, चाय और नाश्ते की ट्रे सजाई। साड़ी पहन कर इन कामों को करने की आदत, अभी इतनी ज़्यादा नहीं थी फिर भी कम से कम समय में ही वह चाय नाश्ते की ट्रे के साथ बाहर आ गया। मेज़ पर ट्रे रख कर उसने सब को चाय दी एवं आग्रहपूर्वक नाश्ते की प्लेट दी और जल्दी से पकौड़ों की प्लेट लाने किचन में चला गया। जब वह लौटा तो गरिमा और प्रिया ज़ोर ज़ोर से हँस रहे थे। हँसी रोकते हुए, गरिमा ने उससे कहा,"मोनू, मेरी चप्पल ले कर आओ।"
मोनू समझ गया कि गरिमा अपनी बहन को दिखाना चाहती थी कि उसका अपने पति पर कितना रौब है। वह चप्पल लेकर आया लेकिन उसने चप्पल गरिमा के पैरों में नहीं रखी। वह गरिमा के पैरों में ज़मीन पर बैठ गया और उसने एक एक कर के गरिमा के दोनों पैरों से उसके जूते मोज़े उतारे और फिर अपने हाथों से उसे चप्पल पहनाई।
जब वह चप्पल पहना कर खड़ा हुआ तो गरिमा के चेहरे पर अभिमान साफ झलक रहा था। प्रिया ने पूछा, "जीजू, ऐसे कपड़े पहन कर इस तरह जीजी की सेवा करना कैसा लगता है आपको?" मोनू जानता था कि प्रिया उसका मज़ाक बना रही है, फिर भी वह द्रढता से सिर ऊँचा कर के बोला, "आज परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं दीदी। मैं अपनी पत्नी का दास हूँ और उनकी आज्ञा ही मेरे लिये सब कुछ है। उनकी सेवा करना मेरे लिए गर्व की बात है।" "अगर दीदी कहें तो मेरी भी ऐसे ही सेवा करोगे?" प्रिया के स्वर में उपहास था। "आपकी सेवा के लिए, किसी को लाने को ही तो पापा जी आये हैं।" मोनू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
रात को, डिनर के बाद, सारा काम खत्म कर के, जब मोनू अपने बैडरूम मे पहुँचा तो गरिमा लैपटॉप पर कोई काम कर रही थी। मोनू ने चुपचाप बाथरूम में जाकर अपनी साड़ी उतारकर नाइट गाउन पहना और बिस्तर पर जाकर गरिमा के पैर अपनी गोद में रख लिये और उनको दबाने लगा। गरिमा ने लैपटॉप बन्द कर साइड में रख दिया और मोनू को अपनी गोद में खींच लिया।"थैन्क्यू जानू, तुमने बहुत अच्छे से सबका आदरसत्कार किया। पास हो गए तुम।" गरिमा के हाथ मोनू के गाउन के अंदर घूम रहे थे। "आप नाराज़ होती हैं तो मेरे हाथ पैर फूल जाते हैं नहीं तो चाय में देर नहीं होती।" मोनू ने छूटने की आधी अधूरी कोशिश करते हुए कहा।"ओह, वो तो मैं प्रिया को दिखाना चाहती थी कि उसे लड़का पसंद करते समय क्या देखना चाहिए। जानते हो, उसने कपिल को पसंद तो कर लिया लेकिन शर्त रखी है कि कपिल यहां आकर देखेगा कि तुम किस प्रकार मेरी सेवा करते हो। यदि वह इसी तरह अपनी पत्नी की सेवा करने को तैयार हो तभी वह कपिल से शादी करेगी।" गरिमा यह कहते कहते, मोनू के ऊपर से गाउन उतार चुकी थी।
अपने वक्षों को छुपाने की असफल कोशिश करते हुए मोनू के होठों पर संतुष्टि की मुस्कान थी।